Guru Gobind Singh Ji jayanti :-
आप सभी को गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती की हार्दिक शुभकामाएं। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दे की आज गुरु गोबिंद सिंह की जयंती है। गुरु गोबिंद सिंह जी सिक्खों के दसवें गुरु थे। गुरु जी का जन्म पटना में हुआ था आज गुरु जी का 357वां प्रकाश दिवस है। आपको बता दे कि आज पटना साहिब में गुरु जी की जयंती को बहुत ही धूम धाम से मनाया जाने वाला है। सिक्खो का ये बहुत ही लोकप्रिय त्यौहार है। आपको बता दे कि इस दिन को पंजाब में बहुत ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।
आपकी जानकारी के नलिये हम आपको बता दे की इस दिन सिक्ख धर्म को लोग सुबह ही उठ कर नहा धो कर गुरूद्वारे जाते है तथा पाठ करते है। इस दिन को सिक्ख बहुत ही अछि प्रकार से मानते है। गुरूद्वारे में आज के दिन बहुत भीड़ होगी तथा आज पूरा दिन ही गुरूद्वारे में लंगर चलेगा। आपको बता दे की गुरु जी का पाठ सुनने के लिए बड़ी संख्या में संगत इक्कठी होती है। आज के दिन सभी गुरुद्वारों को बहुत ही सुंदरता के साथ सजाया जाता है।
आज के दिन बच्चे बूढ़े सभी बहुत खुश होते है। लोग सुबह ही अपने घरो से गुरूद्वारे में माथा टेकने के लिए निकल जाते है। पूरे पंजाब में आज ख़ुशी का माहौल है। हर तरफ खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी। आप को बता दे की आज पूरे पंजाब में बहुत सी रैलियाँ निकाली जाएगी तथा इन रैलियों में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते है।
इसके साथ ही आपको बता दे कि इस रैली के दौरान कई कलाओं का भी प्रदर्शन किया जाता है। इस रैली में सिक्ख बिना छप्पलो के जाते है तथा जिस भी रस्ते से निकली है उस रस्ते को अच्छी प्रकार से साफ़ किया जाता है। इस दिन की सिक्ख धर्म में बहुत ही ज्यादा मान्यता है। गुरु गोबिंद सिंह जी सिक्खो के अंतिम गुरु थे।
Guru Gobind Singh Ji Life :-
आइये तो अब हम आपको गुरु जी के जीवन के बारे में बताते है। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दे कि गुरु गोबिंद सिंह जी सिक्खो के दसवें गुरु थे। गुरु जी सिक्खो के नौवे गुरु, गुरु तेग बहादुर जी के पुत्र थे। आपको बता दे की गुरु गोबिंद सिंह जी के पिता जी ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणो की बलि दे दी थी।
गुरु तेग बहादुर जी की जब शहीदी हुई तो गुरु गोबिंद सिंह जी की आयु केवल नौ वर्ष की थी। इसके बाद 9 वर्ष की छोटी सी आयु में ही गुरु गोबिंद सिंह ने गुरुगद्दी को संभाला था। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दे की गुरु जी ने सदा ही धर्म की रक्षा के लिए कार्य किये थे। गुरु हमेशा लोगो को यही शिक्षा देते थे की उन्हें सच्चाई के मार्ग पर चलना चाइये।
गुरु जी कहते थे की हमे न कभी किसी से डरना चाइये और नहीं कभी किसी को डराना चाइये। आपको बता दे कि गुरु जी की तीन शादियाँ हुई थी।गुरु जी का पहला विवाह बसंतगढ़ में रहने वाली कन्या जीतो के साथ हुआ था इसके बाद गुरु जी की तीन संताने हुई थी तथा दूसरा विवाह गुरु जी का माता सुंदरी के साथ हुआ था तथा इस विवाह से गुरु जी को एक पुत्र की प्राप्ति हुई थी। गुरु जी का तीसरा विवाह माता साहिब के साथ हुआ था परन्तु इस विवाह से गुरु जी की कोई भी संतान नहीं हुई थी।
आपकी जानकरी के लिए हम आपको बता दे की गुरु जी ने भी अपने पिता की ही भांति धर्म की रक्षा के लिए अपने प्र प्राण त्याग दिए थे। गुरु जी कभी भी मुगलो के सामने झुके नहीं थे। ही आपको बता दे की गुरु जी के चारो पुत्रो ने भी धर्म किए लिए ही अपनी जान दी थी थी। गुरु जी के दोनों छोटे पुत्रो को औरंगजेब ने मुस्लिम धर्म न स्वीकार करने के कारन जीवित ही दीवार में चुनवा दिया था।
आपको बता दे की जब गुरु जी के पुरो को दीवार में चुनवाया जा रहा था तो वहा खड़े लोगो की आँखो से आँसू निकल रहे थे। गुरु जी समेत उनके पूरे परिवार ने ही धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणो की बलि दे दी थी।