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Navratri Ashtami 2024 :- अप्रैल महीने के चैत्र नवरात्री की अष्टमी कब है ? जानिए पूजा के सही विधि, तिथि और समय के बारे में।

Navratri Ashtami 2024

Navratri Ashtami 2024 :- आप सभी को नवरात्री अष्टमी की ढेर सारी शुभ कामनाएँ। जैसे कि आप सभी को पता ही है कि 09 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार से नवरात्री शुरू हुई थी। वही कल यानी 16 अप्रैल 2024 दिन सोमवार को नवरात्री महा अष्टमी मनाई जायेगी। वही 19 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार को महानवमी पर भगवान श्री राम का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस दिन का इंतज़ार श्रद्धालु कई समय से इंतज़ार करते है। आप सभी की जानकारी के लिए बता दे कि नवरात्री एक साल में दो बार मनाई जाती है। जो अप्रैल महीने में मनाई जाती है उस को चैत्र नवरात्री भी कहा जाता है।

वही इस के इलावा एक अक्टूबर के महीने में बड़ी नवरात्री मनायी जाती है। नवरात्री के शुरू होते ही कई तैयारियाँ शुरू हो जाती है। लोग नवरात्री शुरू होने से पहले माता जी की मूर्ति बनवाते है। जिन की ज़्यादा कामना होती है तो वह लोग सोने, चांदी या फिर हीरे की मूर्तियां भी माता जी की तैयार करवाते है। इस के बाद माता जी के लिए वस्त्र और सिंगार का सभी समान खरीदा जाता है। नवरात्री के शुरू होती हुई बाज़ारो में काफी ज़्यादा चहल पहल देख ने को मिल जाती है। नवरात्री के पहले दिन माता जी की मूर्ति को विराजमान किया जाता है।

इस बाद सभी हिन्दू रीती रिवाज़ो के अनुसार सभी रस्म को पूरा किया जाता है। आप को बता दे कि इस नवरात्री में भी जौं को बीजते है और हर दिन पूजा के समय जौं में पानी भी डालते है। ताकि नवरात्री के समाप्त होने तक वे जौं अच्छी तरह से उग जाए। नवरात्री के नवमी के दिन ही उस जौं को अपने से बड़े की पूजा कर के या फिर भाई बहनो के कान के पीछे जौं को बाँध के टीका लगा कर रख दिया जाता है। आप को बता दे कि अष्टमी के विशेष दिन के ऊपर हिन्दू देवी महा गौरी जी की पूजा की जाती है।

Navratri Ashtami 2024 :- अप्रैल महीने के चैत्र नवरात्री की अष्टमी कब है ? जानिए पूजा के सही विधि, तिथि और समय के बारे में।

वही दूसरी ओर नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। कई लोग अष्टमी के दिन भी कंजकायो को भोजन करवाते है तथा कुछ लोग नवमी को कंजकायो को भोजन करवाते है। आप की जानकारी के लिए बता दे कि ज्योत्षी चर्या एसएस नागपाल द्वारा बताया है कि नवरात्री अष्टमी का तिथि का प्रारम्भ 15 अप्रैल 2024 दिन सोमवार को दोपहर 12 बज कर 11 मिनट पर शुरू होगा। वही दूसरी ओर अष्टमी का समापन 16 अप्रैल दिन मंगलवार को 1 बज कर 23 मिनट पर होगा। 17 अप्रैल को महा नवमी का दिन है।

महा नवमी का नवरात्री में आखिरी दिन होता है। कई जगह पर माता जी बड़ी बड़ी मूर्ति रखी जाती है। साथ ही सभी माता और भगवान जी का चेहरा ढका होता है। जहाँ नवरात्री के आखिरी दिन ही माता जी चेहरे को खोला जाता है। नौ दिन तक माता जी की पूजा की जाती है। नवरात्री के आखिरी दिन माता जी के पंडाल में सभी श्रद्धालु द्वारा भंडारा भी तैयार करवाते है। इस के बाद नवरात्री के आखिरी दिन ही सभी मिल कर माता जी की मूर्ति को किसी बड़ी नदी में विसर्जन कर दिया जाता है। आप को बता दे कि नवरात्री के शुरू होते ही कई लोग तो पुरे नौ दिनों तक व्रत रखते है।

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तथा कोई पहले दिन और आखिरी दिन का व्रत रखते है। यह व्रत फलहार होता है यानी व्रत का धारण करते हुए सिर्फ फल का ही सेवन करते है। नवरात्री के दिनों में घर पर लसन प्याज़ का प्रयोग नहीं किया जाता है। इन दिनों में घर पर प्याज़ और लसन का तड़का नहीं लगता है। जो लोग व्रत रखते है नौ दिनों तक उन्हें अपने घर के मंदिर के बाहर आसन लगा कर निचे ही सोना होता है। आप को बता दे कि नवरात्री के आखिरी दिन में घर पर कंजकायो को भोजन करवाया जाता है। नौ कंजकाए होती है और एक भैरव जी होते है।

Navratri Ashtami 2024 :- अप्रैल महीने के चैत्र नवरात्री की अष्टमी कब है ? जानिए पूजा के सही विधि, तिथि और समय के बारे में।

जिन्होंने व्रत का धारण किया होता है उन्हें ज़रूर कंजकायो को भोजन करवाना चाहिए। इस में श्रद्धालु की अपनी इच्छा होती है कि वह कंजकायो को को क्या तौफा देना चाहते है। इस दिन कहा जाता है कि छोटे कंजकयो को अगर भोजन करवाते है तो इस से माता प्रसन्न होती है। साथ ही उन्हें काफी ज़्यादा आशीर्वाद भी देती है। कंजाकए बिठाने का सही तरीका आप सभी को पता होना चाहिए। आइए तो फिर इस के बारे में जानते है विस्तार से।

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कन्या भोजन की विधि :

  • सब से पहले नौ कंजाकए यानी नौ छोटी लड़कियों को बुलाये और उन में से एक भैरव यानी एक लड़का शामिल होना चाहिए।
  • इस के बाद सभी मिल कर माता जी आरती गाये।
  • फिर सभी कंजकायो और भैरव जी को एक आसान में बिठाये, उनके पैर धोये, टीका लगाए और उन की आरती उतारे और हाथ में मोली धागा भी बांधे।
  • इस के बाद सभी को बिना तड़के वाला भोजन करवाए और मनपसन्दीदा तौफा दे कर कंजका को समाप्त करे।
  • जाते समय आप को सभी के पैर चछूने चाहिए।

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