Earthquake: नेपाल में कल रात शुक्रवार को एक तेज भूकंप ने व्यापक नुकसान पहुंचाया है, जिससे अब तक कम से कम 128 लोगों की मौत हो गई है। यह भूकंप विशेष रूप से कर्णाली प्रदेश के जाजरकोट और रुकुम पश्चिम क्षेत्रों में भारी नुकसान पहुंचाने के बाद महसूस किया गया। मीडिया के अनुसार, इस भूकंप की तीव्रता लगभग रात 11:47 बजे के आसपास 6.4 रिक्तियों पर मापी गई थी। नेपाल में अनुभव के मुताबिक, इस प्रकार के भूकंप से निकलने वाले नुकसानों का आकलन जारी है।
राष्ट्रीय भूकंप मापन केंद्र के प्रमुख लोकविजय अधिकारी ने बताया कि भूकंप रात 11:47 बजे आया था, जिसका केंद्र पश्चिम नेपाल के जाजरकोट शहर में था। इस भूकंप में जाजरकोट के नलगढ़ नगर पालिका की डिप्टी मेयर सरिता सिंह की मौत हो गई। उनके अलावा, इस क्षेत्र में 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई है।
नेपाल पुलिस के अनुसार, भूकंप के कारण पुराने मकानों में नुकसान हुआ है। रुकुम पश्चिम जिले के आठबिसकोट नगर पालिका 11 में लक्ष्मी बिक और उनकी 4 नाबालिग बेटियों सहित 15 लोगों की मौत हो गई। भूकंप से नेपाल के जाजरकोट क्षेत्र में एक व्यक्ति की मौत हो गई है। जाजरकोट के प्रमुख जिला अधिकारी सुरेश सुनार ने बताया कि उन्हें मौत की जानकारी मिली है।
Nepal: Death toll jumps to 70 after strong earthquake
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— ANI Digital (@ani_digital) November 4, 2023
#WATCH | Nepal earthquake | Visuals from Jajarkot where the injured were brought to the hospital last night.
Nepal PM Pushpa Kamal Dahal ‘Prachanda’ left for the earthquake-affected areas along with doctors and aid materials this morning. pic.twitter.com/KJes2IybPP
— ANI (@ANI) November 4, 2023
Earthquake नेपाल में क्यों आते हैं इतने भूकंप?
Earthquake: नेपाल की धरती, बदलते समय के साथ बार-बार कांप जाती है। पिछले महीने, 22 अक्टूबर को धाड़ींग जिले में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया, और उसके पहले, नेपाल के सुदूर पश्चिम प्रदेश में 16 अक्टूबर को 4.8 तीव्रता का भूकंप हुआ था। 2015 में हुए 7.8 तीव्रता के भूकंप और इसके बाद आने वाले झटकों के कारण, लगभग 9,000 लोगों की मौत हो गई थी। ये घटनाएं नेपाल की भूमिका को बयान करती हैं जहां प्राकृतिक आपदाओं का खतरा हमेशा मौजूद रहता है और साथ ही सरकार और संचालनिक अधिकारियों को तैयार रहने की आवश्यकता होती है।
नेपाल में भूकंपों की वजह वास्तविक रूप से भारतीय और तिब्बती टेक्टोनिक प्लेट के संघर्ष में ढलानों के कारण होती है। नेपाल दो टेक्टोनिक प्लेटों के सामने है, जो हर 100 साल में दो मीटर तक खिसक जाती हैं। इस दबाव के कारण, भूमि में चुंबकीय दबाव पैदा होता है जो भूकंपों को जन्म देता है।
नेपाल सरकार के आपदा आंकलन रिपोर्ट (पीडीएनए) के अनुसार, यहाँ हर साल औसतन 11 भूकंप होते हैं, जो दुनिया में अधिकांश भूकंपों की संख्या में एक अहम स्थान रखते हैं। यह टेक्टोनिक गतिविधियाँ नेपाल को भूकंपों के खतरे के लिए विशेष बनाती हैं, लेकिन इस तरह की समस्याओं का सामना करने के लिए नेपाल सरकार और संबंधित अधिकारियों ने सुरक्षा और आपातकालीन तयारियों में कदम उठाए हैं।
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