Punjab and Haryana Air Quality: शुक्रवार को हरियाणा के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया। इसके विपरीत पड़ोसी पंजाब के कुछ हिस्सों में वायु गुणवत्ता ‘खराब’ थी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, शुक्रवार शाम को फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 460 दर्ज किया गया। इसके बाद हिसार में 456, सोनीपत में 455, जिंद में 447, फतेहाबाद में 432, रोहतक में 424, बहादुरगढ़ में 404, बल्लभगढ़ में 398, और गुरुग्राम में 460 एक्यूआई दर्ज किया गया। जबकि पलवल में 367, भिवानी में 313, कुरुक्षेत्र में 321, करनाल में 312 और अम्बाला में 218 एक्यूआई दर्ज किए गए।
पंजाब की बात करें तो बठिंडा में AQI 338 दर्ज किया गया, जबकि मंडी गोबिंदगढ़ में AQI 277, अमृतसर में 248, खन्ना में 249, जालंधर में 268 और लुधियाना में 228 था। पंजाब में शुक्रवार को खेतों में आग लगने की 1,551 घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे चालू फसल सीजन के दौरान ऐसी घटनाओं की कुल संख्या 12,813 हो गई है.
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Punjab and Haryana Air Quality की संयुक्त राजधानी, चंडीगढ़ में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 189 दर्ज किया गया है। इसका मतलब यह है कि शहर की वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’ है। AQI 0 और 50 के बीच ‘अच्छी’ गुणवत्ता वाली होती है जबकि AQI 51 से 100 के बीच वायु गुणवत्ता ‘संतोषजनक’ मानी जाती है। AQI 201 से 300 के बीच वायु गुणवत्ता ‘खराब’ है जबकि AQI 301 से 400 के बीच वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ होती है। AQI 401 से 500 के बीच वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ होती है।
इस दौरान, पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में पराली जलाने के कुल 12,813 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से बुधवार को पंजाब में 1,921 मामले दर्ज किए गए थे।
इस वायु प्रदूषण के कारण पंजाब व सम्पूर्ण उत्तर भारत में स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। इस समस्या को हल करने के लिए संबंधित अधिकारियों को कर्मचारियों को सक्रिय रूप से काम में लाना चाहिए।
धान की पराली जलाना ने शहरों में वायु प्रदूषण को बढ़ाया, पंजाब और हरियाणा का बना प्रदूषण विशेष कारण, राष्ट्रीय राजधानियों में वायु प्रदूषण बढ़ते जा रहे हैं, इसके पीछे अक्टूबर और नवंबर महीने में पंजाब और हरियाणा में धान की पराली जलाने के कारण बनी वायु प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।
डॉक्टरों ने बताया है कि दिल और अस्थमा के मरीजों को घर से बाहर निकलते समय सावधानी बरतने की जरूरत होती है। इस समय AQI खराब होने के कारण, लोगों को बेहद सतर्क रहना चाहिए। यदि इसे लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाता तो इससे विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
आर्थिक ढंग से पा रहे लाभों की चर्चा तो दृष्टिगत होती ही है, लेकिन हमें अपनी सेहत से भी सावधान रहना चाहिए। AQI ख़राब स्थिति में हमारा सुखद जीवन खतरे में आ सकता है। इसलिए, हमें अपनी सेहत के लिए जिम्मेदारी उठानी चाहिए और आवाज उठाना चाहिए। सभी को इस पर ध्यान देना चाहिए कि ये सबसे छोटे कण होते हैं जो सांसों के साथ हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं।
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